।। सक्रियता श्रेणी।।
धातु की सक्रियता या क्रियाशीलता (Reactivity Series or Activity Series).
कक्षा नवमी और दशमी के बच्चों को हम धातु की सक्रियता या क्रियाशीलता (Reactivity Series or Activity Series of metals) पढाते हैं।
बच्चों को बताते हैं कि किसी अंग्रेज रसायनशास्त्री ने इसको व्यवस्थित करने का काम किया है और इस कार्य के लिए उन्हें फलाना पुरस्कार से सम्मानित किया गया है....
परन्तु यह नहीं बताते कि यह कार्य हमारे देश के ऋषि-मुनियों की अथक प्रयासों तथा अखण्ड तपस्या से सैकड़ों वर्ष पहले ही इस विषय पर अनेकों प्रयोग किये जा चुके थे।
महाऋषि गोविन्दाचार्य ने धातुओं के जंग-रोधन या क्षरण रोधों की क्षमता का क्रम से वर्णन किया है आज भी वही क्रम तथाकथित अंग्रेज वैज्ञानिकों के द्वारा प्रयोग में लाया जाता है एवं बच्चों को पढ़या जाता है।
सुवर्णं रजतं ताम्रं तीक्ष्णवंग भुजङ्गमाः ।
लोहकं षड्विधं तच्च यथापूर्वं तदक्षयम् ।।
—रसार्णव - ७ - ८९ - ९०
अर्थात :-
धातुओं के अक्षय रहने का क्रम निम्न प्रकार से है....
सुवर्ण (सोना).... चांदी.... ताम्र (copper).... वंग... सीसा... तथा लोहा। इसमें सोना सबसे अधिक अक्षय है।
उपरोक्त उदाहरण से स्पष्ट है कि दुनिया में यदि कहीं ज्ञान है तो वैदिक साहित्य में ही है आवश्यकता सिर्फ़ इस बात की है कि अपने आप को पहचान कर अपनी क्षमता का पूर्ण उपयोग अपने वैदिक साहित्य तथा वैदिक ज्ञान के विकास में अर्पण करें।
दुसरे हमारे वैदिक ज्ञान को विकसित कर तथा आकर्षक बना कर हमी से बेच रहे हैं हम यह जानते हुए भी कि यह हमारा ही ज्ञान है उसे खरीदने के लिए मजबूर हैं क्योंकि वर्षों की गुलामी ने हमें पकी-पकाइ खिचड़ी खाने का आदी बना दिया है।
सधन्यवाद
अनिल ठाकुर।।