~सवाल :- NCERT से....
मोहन राकेश द्वारा रचित एकांकी "अंडे के छिलके" ग्यारहवीं कक्षा में हिन्दी विषय के "अंतराल" पुस्तक का प्रथम पाठ के पक्ष में तर्क दिए गए हैं कि प्राचीन भारतीय परंपरा और आधुनिकता का द्वंद्व को उभारा गया है प्रस्तुत एकांकी को पढ़कर ज्ञात होता है कि अंडे के सेवन,छुप कर सिगरेट पीना तथा अपने अम्मा से छुप कर कार्य करने को आधुनिकता से जोड़ा गया है साथ में विद्यार्थियों को अपने जीवन में यथार्थ को महत्व देने की बात कही गई है कृत्रिमता या थोथे आदर्शवाद में न पड़ने की सलाह दी गई है जिसका निष्कर्ष यह निकलता है कि अंडे का सेवन, सिगरेट पीना, आम्मा से छुप कर कार्य करना यथार्थता बताया गया है जबकि रामचरितमानस इत्यादि पुस्तकों को थोथा आदर्शवाद कहा गया है।
इतना सब पढा कर हम अपने बच्चों में कौन से नैतिक मूल्यों विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं...
मेरा "राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण पर्षद" से अनुरोध है पाठ्यपुस्तकों में शामिल सामग्री पर पुनः विचार करें...
जो कि शिक्षा के उद्देश्य तथा छात्रों के सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को पूरा करता हो वैसी सामग्री पुस्तकों में डालने का प्रयास किया जाना चाहिए....
सधन्यवाद
अनिल ठाकुर।