।। श्री परमात्मामने नमः।।
जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन ।
करउ अनुग्रह सोई बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।।
मूक होइ बाचाल पंगु चढ़इ गिरिबर गहन।
जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन।।
नील सरोरुह स्याम तरुन अरुन बारिज नयन।
करउ सो मम उर धाम सदा छीरसागर सयन।।
कुंद इंदु सम देह उमा रमन करुना अयन।
जाहि दीन पर नेह करउ कृपा मर्दन मयन।।
बंदउँ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररुप हरि।
महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर।।
।। ॐ नमः भगवते वासुदेवाय्।।