786 और हिंदू धर्म में संबंध
सनातन धर्म के मुताबिक 786 का मतलब ऊँ होता है। राफेल पताई अपनी पुस्तक 'द जीविस माइंड' में बताते हैं तंत्र और गुलामी की दास्ता के बीच यह संसार रहता है। पवित्र कुरान की सभी अरबी प्रतियों पर अंकित रहस्यमय अंक 786 है। अरबी विद्वानों ने परमात्मा के रूप में इस विशेष अंक का चुनाव निर्धारित कर इसे ईश्वर के समान दर्जा दिया। अगर इस जादुई संख्या को संस्कृत में लिखा जाए तो ऊँ जादुई संख्या 786 दिखाई देगा।
श्रीकृष्ण और 786
सच्चिदानन्दघन परब्रम्ह परमात्मा पूर्णवतार में श्रीकृष्ण ने बांसूरी के सात छिद्रों से सात स्वरों के साथ हाथों की तीन-तीन अंगुलियों से यानी छ: अंगुलियों से बांसुरी बजाकर गांवों को मुग्ध कर दिया करते रहे। (7) सात छिद्रों और सात स्वरों वाली बांसुरी को देवकी के आठवें (8) पुत्र प्रिय श्रीकृष्ण ने अपनी (6) अंगुलियों से बजाकर समस्त चराचर को मंत्रमुग्ध कर दिया था। इस तरह श्रीकृष्ण और 786 अंक का महत्व जितना मुस्लिम धर्म में है, उतनी ही हिन्दू धर्म में भी है।
एकता का प्रतीक 786
अंक ज्योतिष के अनुसार 786 को परस्पर में जोड़ते है तो 7+8+6=21 होता है। 21 को भी परस्पर जोड़ा जाए तो 2+1=3 अंक हुआ, जो कि लगभग सभी धर्मों में अत्यंत शुभ एवं पवित्र अंक माना जाता है। तीन उच्च महाशक्ितयां ब्रह्मा, विष्णु और महेश। अल्लाह, पैगम्बर और नुमाइंदे की संख्या भी तीन तथा सारी सृष्टि के मूल में समाए प्रमुख गुण सत् रज व तम भी तीन ही हैं। अर्थात हिन्दू धर्म एवं मुस्लिम धर्म दोनों में ये दोनों धार्मिक प्रतीक मिलते जुलते हैं।